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मैंने कानून की पढ़ाई क्यों चुनी

मैंने कानून क्यों चुना?

यह सवाल हर चेहरा मुझसे करता है।

क्या मैं वकील बनना चाहता हूँ?

या बस डिग्री लेकर आगे बढ़ जाना चाहता हूँ?


नहीं।

मैं बताता हूँ —

मैंने कानून क्यों चुना।


मैंने कानून इसलिए नहीं चुना

कि मुझे कोर्ट में ऊँची आवाज़ में बहस करनी थी,

न ही इसलिए कि मुझे कोट पहनकर

लोगों से सम्मान चाहिए था।


मैंने इसे इसलिए चुना —

क्योंकि मुझे उस मज़दूर के लिए लड़ना था

जिसकी शिकायत कभी दर्ज ही नहीं हुई।


क्योंकि मुझे उस महिला के अधिकारों के लिए आवाज़ उठानी थी

जिसे हमेशा कर्तव्यों में बाँधकर रखा गया,

पर कभी उसे उसके अधिकार नहीं बताए गए।


मुझे उस किसान की पीड़ा को समझना था

जिसने कभी 'अनुच्छेद' शब्द तक नहीं सुना,

पर हर नीति का भार उसी की पीठ पर डाला गया।


मैंने कानून इसलिए नहीं चुना

कि मुझे अमीर बनना था,

मैंने इसे इसलिए चुना

क्योंकि मुझे गरीबी की जड़ों को पहचानकर

उन्हें जड़ मिटाना है।


संविधान मेरे लिए एक किताब नहीं,

एक जीवंत दस्तावेज़ है —

जिसके हर अनुच्छेद में

मैं अपने समाज का चेहरा देखता हूँ।


मैंने कानून इसलिए चुना

क्योंकि मुझे नारे नहीं, नीतियाँ बदलनी हैं;

भाषण नहीं, व्यवस्था बदलनी है।


मुझे वह वकालत नहीं करनी

जो सिर्फ अमीरों के मुक़दमे जीतती है,

मुझे वह वकालत करनी है

जो ग़रीब की ज़िंदगी में रोशनी भर दे।


ज़रूरी नहीं कि हर विधि छात्र कोर्ट में जाए —

जो सच में न्याय चाहता है,

वह पंचायत में बोलेगा,

चौराहों पर खड़ा होगा,

और संसद के दरवाज़ों तक जाकर आवाज़ उठाएगा।


और यदि समाज आँखें मूंद ले,

तो कलम से वह चट्टानों पर भी इंकलाब लिख देगा।


मैंने कानून इसलिए चुना —

क्योंकि मुझे इतिहास का गवाह नहीं,

उसका निर्माता बनना है।


क्योंकि मैं मानता हूँ:

शिक्षा वही जो समाज की गंदगी को धो दे,

सोच वही जो व्यवस्था को बदल दे,

विचार वही जो क्रांति ला दे।


लॉ की पढ़ाई एक शक्ति है, एक हथियार है —

जो चले तो समाज की गंदगी को मिटा दे।


जो कानून की पढ़ाई करता है,

वह सिर्फ़ वकील नहीं बनता,

वह चाहे तो वह युग का निर्माता, समाज का पथ प्रदर्शक बन सकता है।


अगर इरादे सही हों,

तो कलम से तलवार को भी झुका सकता हैं।


संविधान की ताकत से संसद को भी हिला सकता है ।


आज आवश्यकता है ऐसे विधि छात्रों की

जो सिर्फ वकील नहीं, युग-निर्माता बनें;

जो संविधान को आत्मा में बसा लें;

जो अन्याय से आँख मिलाकर

सच का पक्ष ले सकें।


क्योंकि —

कानून की पढ़ाई करियर नहीं, एक क्रांति है।

और मैं, एक विधि छात्र होकर,

इस क्रांति का सिपाही हूँ।


हम वकील बनने नहीं,

व्यवस्था को समझने और उसे बदलने आए हैं।

हम BNS और BNSS की धाराएँ रटने नहीं,

उनके पीछे छिपी सामाजिक बुराइयों को पहचानने आए हैं।


लॉ एक पेशा नहीं, एक आंदोलन है।

और यह आंदोलन तब तक अधूरा है

जब तक हर गाँव, हर गली,

हर महिला, हर मज़दूर,

हर किसान को उसका हक़ न मिल जाए।


– अजय सिंह

विधि का छात्र

#Why I Choosed to become a law student 




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