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मेरे जीवन के तीन उद्देश्य जो मुझे भगत सिंह ने बताए

 प्रिय मित्र अजय 

तुमने मुझसे पूछा था मुझे अपने जीवन का उद्देश्य क्या बनाना चाहिए मुझे ये देखकर बहुत खुशी हुई कि तुम अपने जीवन के प्रति सजग हो

यही तो एक सच्चे युवा की पहचान है जो केवल जीना ही नहीं, बल्कि कुछ महत्वपूर्ण और सच्चा करना चाहता है।


 मैं अपने अनुभव और विचारों के आधार पर तुम्हें तीन ऐसे उद्देश्य बताना चाहता हूँ, जो तुम्हारे जीवन को न केवल गहराई देंगे, बल्कि समाज और आत्मा दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे:


1. समाज-सुधार और जन-जागरण


अजय, मैंने अपने जीवन को देश और समाज के लिए समर्पित किया क्योंकि मुझे लगता था कि जब तक समाज अज्ञान, अन्याय और शोषण की जंजीरों में जकड़ा है, तब तक व्यक्ति की मुक्ति अधूरी है।

तुम भी अपने ज्ञान, समय और ऊर्जा को इस दिशा में लगाओ कि लोग अपने अधिकार, कर्तव्य, और मानवीय मूल्यों को जान सकें।


 "क्रांति सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, चेतना का परिवर्तन है।"


तुम्हारा जीवन समाज के पीड़ितों के लिए आवाज़ बने, अन्याय के विरुद्ध एक विचार बने—यही एक क्रांतिकारी का वास्तविक जीवन होता है।


2. परिवार के प्रति कर्तव्य


जो मनुष्य अपने परिवार की ज़िम्मेदारियों से भागता है, वह समाज का सुधारक नहीं बन सकता।

तुम्हारा परिवार तुम्हारी प्रथम जिम्मेदारी है। माता-पिता, भाई-बहन—ये तुम्हारे जीवन के वे स्तम्भ हैं जो तुम्हें सहारा देते हैं।

तुम्हारा जीवन ऐसा हो जो तुम्हारे परिवार के लिए सहारा, प्रेरणा और श्रद्धा का कारण बने।



3. अध्यात्म और आत्म-निर्माण


शरीर और बुद्धि की सेवा के साथ आत्मा का पोषण भी ज़रूरी है। मैं नास्तिक था, परंतु मैं आत्मा के विकास का विरोधी नहीं था।


"अध्यात्म का अर्थ है—अपने भीतर के सत्य, मौन और विवेक से जुड़ना।"


तुम्हारे भीतर अगर संयम, विचार और आत्म-चिंतन होगा, तभी तुम सच्चे अर्थों में समाज के लिए कुछ कर पाओगे।

अध्यात्म तुम्हें अंधकार में प्रकाश देता है, भटकाव में दिशा देता है।


अंत में, मैं यही कहूँगा अजय—

"तुम्हारे जीवन का उद्देश्य इतना पवित्र और प्रखर हो कि तुम्हारे जाने के बाद भी तुम्हारे विचार जिएँ।"


अपने जीवन को एक साधना बनाओ—सेवा, कर्तव्य और आत्मविकास की साधना।


तुम्हारा मित्र

भगत सिंह







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